भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने अगस्त 2025 की बैठक में मौद्रिक नीति पर अपना निर्णय जारी कर दिया है। इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा गया है।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है, जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों से ऋण लेना महंगा हो जाता है और बाजार में नकदी की कमी आती है। वहीं, रेपो रेट घटने से बैंकों को सस्ते में पैसे मिलते हैं और बाजार में नकदी बढ़ती है।
MPC बैठक के प्रमुख निर्णय:
- ✅ रेपो रेट:50% (कोई बदलाव नहीं)
- ✅ रिवर्स रेपो रेट:35%
- ✅ MSF रेट और बैंक रेट:75%
- ✅ नीति रुख (Policy Stance): ‘विकास को समर्थन देने के साथ-साथ मुद्रास्फीति नियंत्रण’
रेपो रेट स्थिर रखने के पीछे कारण:
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन समग्र मुद्रास्फीति नियंत्रित है।
- आर्थिक विकास को गति देना: महंगे ऋण से बाजार में मंदी आ सकती है। इसलिए रेट में कटौती या वृद्धि नहीं की गई।
- वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका और चीन जैसे देशों की नीतियों से भी भारत प्रभावित होता है, इसलिए स्थिर नीति रखी गई।
आम आदमी पर असर:
- 👉 EMI में कोई बदलाव नहीं होगा, क्योंकि रेपो रेट जस का तस है।
- 👉 होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन की ब्याज दरें स्थिर रहेंगी।
- 👉 निवेशकों के लिए यह स्थिति थोड़ी स्थिर लेकिन सतर्कता भरी है।
विशेषज्ञों की राय:
विशेषज्ञों का मानना है कि RBI अभी ‘Watch and Wait’ की नीति पर काम कर रहा है। अगर अगली तिमाही में महंगाई काबू में रहती है तो रेपो रेट में कटौती की संभावना बन सकती है।
🔮 आगे का रास्ता:
- 📅 अगली MPC बैठक अक्टूबर 2025 में हो सकती है।
- 🍚 अगर खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ती रही तो RBI सख्ती अपना सकता है।
- 💹 निवेशकों को बाजार पर नजर बनाए रखनी चाहिए।
✍️ निष्कर्ष:
RBI की अगस्त 2025 की MPC बैठक में रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखना यह संकेत देता है कि देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे संतुलित हो रही है। न तो बहुत तेजी और न ही ज्यादा मंदी, RBI अभी स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है। आम जनता के लिए ये खबर राहत की है क्योंकि फिलहाल EMI नहीं बढ़ेगी।
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